Friday 25 February 2011

meri kahani.meri jubani:)


..आज से एक महीने पहले मैं भी आपके jaisi   ही थी  और यकीं मनो आज भी वैसी ही हूँ पर जीवनजीने का मकसद आज मुझे पता है.आज मुझे पता है की इश्वर क्या है.आज तक मैं इश्वर को मानती थे पर अब मैं इश्वर को जान
जाउंगी. जान जाना सब कुछ है.परियाप्त है.
मैं देवी माँ को मानती थी बहुत ,  आज भी मानती हूँ  मेरे शब्दों में मानना है जानना नहीं इस बात का ध्यान रखना.फिर एक दिन मेरे जीवन में एकाएक कुछ हुआ किसी ने मुझे कुछ बताया वो कुछ उन सवालों के जवाब थे जो मैं  हमेशा सोचा
करते थी एक एक करके मेरे सब सवाल खत्म हो गए .mujhe विश्वास ही नहीं हुआ मैंने सोचा  सब झूठ  है जैसे की हर कोई मैं या आप सोचेंगे मैंने भी सिरे से नकार दिया क्यूंकि मैं जानती थी की आजकल ढोंगी बहुत हैं लोगों को उल्लू
बनाते हैं और मैं सो गयी.अगले दिन जब मैं देवी स्तुति कर रही थी तब एक पंक्ति आई ...या देवी  सर्वभूतेषु  ज्योतिरुपेंनं  संस्थिता नमः तसते नमः तसते नमः तसते नमोनमः  ..मैं हमेशा उसको पढ़ती थी पर उस दिन meri नज़र उसपर
जैसे अटक ही गयी मैंने अपनी मम्मी से पूछ ही लिया मम्मी इसका अर्थ बताओ जरा..मम्मी ने हर बार की तरह उसका अर्थ बताया.-देवी माँ कहती है मेरा असली रूप ज्योति है न की जिस मूर्ति की तुम पूजा करते हो और हे माँ जिस ज्योति रूप
में तुम हो उस रूप को हम बारम्बार प्रणाम करते हैं..देवी माँ कहती हैं की उस रूप को तुम जानो ..मुझे पहचानो न की सिर्फ maano .जैसे मैं देवी माँ को मानती हूँ वैसे ही आज लोग प्रथक प्रथक देवी देवता को मानते होंगे तो सभी देवी देवता
इस बात को शास्त्रों में या पुराणो में कह चुके हैं की हमारे ज्योति रूप को जानो तभी तुम इस जीवन को जी पाओगे .
एक बार की बात है इश्वर ने ये प्रथ्वी बनाई सब जीव  जंतु ,पेड़ पौधे बना दिए अब्ब बना तो दिए अब्ब इश्वर ने सोचा की मै खुद कहाँ रहूँ ? .मैंने सबको तो स्थान दे दिया अब्ब मैं खुद कहाँ रहूँ ? तब इश्वर ने मनुष्य बनाया और खुद को उसमें रख लिया और ताला  लगा दिया .तभी से इश्वर मनुष्य में हैं इस धरती का सञ्चालन करते हैं और हम बुदधू  लोग इश्वर को मूर्ति मंदिर तीरथ में ढूंढ़ते हैं. है ना बेवकूफी? हम लोग उसी हिरण की तरह हैं जो कस्तूरी के लिए इधर उधर  भटकता है परन्तु ये नहीं जनता की जिसकी महक से वो  इधर उधर भाग रहा है वो उसी की नाभि में बनती है और समाई हुयी है .आपको लगता होगा की अभी हम बच्चे हैं तो ये सब अद्यात्मा की बातें बूढ़े होकर आनि  चाहिए अभी तो खेलने कूदने के दिन हैं मौज करो तो ये सुनो- एक लड़का था राम हर लड़के की तरह वो भी पूजा पाठी था पर कभी असली इश्वर को जाना नहीं सोचा बुढ़ापे में ज्ञान लूँगा अभी जीवन जीता हूँ और हर इन्सान की तरह वोह भी ख़ुशी ख़ुशी मोह में जीवन जीता रहा भूल गया बुढ़ापे में क्या सोचा था तकलीफ बीमारी सताने लगी एक दिन मृत्यु को भी प्राप्त हो गया .अब एक प्रकाश में समां गया वहां इश्वर ने पूछा बेटा मैंने तुझे मनुष्य तन दिया था मुझे जान्ने के लिए तुने तो उससे गवा दिया भोग में .ऐसा क्यूँ किया? चल अब तुने भूग चुना है तो क्या तू उस भोग से कुछ लाया है अब तो वो रोने लगा बोला मैंने तो कुछ भी नहीं कमाया मैं तो ऐसे ही आगया? हे इश्वर मुझे माफ़ करदो मुझे अगला जनम मनुष्य  का देदो मैं अवश्य आपकी स्तुति करूँगा आपको जानूंगा और अंत मैं आप में लीं हो जाऊंगा .तो आप जानते हैं ultimately हम लोगों को इश्वर में ही लीं होना है लेकिन हम मोह maya में ये भूल jate हैं और jab इश्वर के pass jate हैं hamesha मनुष्य yoni mangte हैं की shayad bhagwan को jaan lein  क्यूंकि सिर्फ इसी योनी में आप इश्वर को जान सकते हैं क्युकी इसी में इश्वर हैं पर yahan aakar phir भूल jate हैं...और अनंत काल तक घूमते रहते हैं घूमते रहते हैं अलग अलग योनियों में कभी किसी में -कभी जानवर बन जाते हैं कभी चिंटी कभी बन्दर कभी हाथी .लेकिन मनुष्य तभी बनते हैं जब अपने अंत समय में यानि मृत्यु के समय में इश्वर को याद करते हैं ,बोहत भग्य से मिलती  है मनुष्य योनी यहाँ तक की देवी देवता यानि इन्द्र आदि ये सब तरसते हैं मनुष्य बन्ने के लिए पता है?चलो ये भी बताती हूँ....जब हमारे अच्छे कर्म बोहत हो जाते हैं तब हम स्वर्ग प्राप्त कर लेते हैं वह हम भी देवी देवता की तरह जीवन जीते हैं परन्तु आपको पता है जब हमारे वो सब अच्छे कर्म ख़त्म हो जाते हैं हम अपने कर्म अनुसार प्रथ्वी पर आजाते हैं फिर इस योनी चक्र में घुमने लगते हैं हैं इसीलिए स्वर्ग का रास्ता भी परमानेंट नहीं है भाई . सिर्फ एक जगह है जहाँ इश्वर हैं वो है मनुष्य योनी इस योनी में हम इश्वर को जान सकते हैं ब्रह्मा ज्ञान से इसीलिए इसे गवा मत देना निवेदन है .और जैसे इस संसार में मनुष्य नियम बनाते हैं उसी तरह भगवन का एक नियम है भगवन ने इस नियम के तहत गुरु को इस दुनिया में उतरा.ये साक्षी है हर युग में गुरु आते हैं और हमें ब्रह्मा ज्ञान देते हैं.वो हमारे सर पर हाथ रखते हैं और हमारे अन्दर इश्वर को जागते हैं.अब आप सोचोगे गुरु ही क्यों?तोह सुनो इश्वर अद्भुत शक्ति का भंडार है वोह इतनी जयादा शक्ति का भंडार है की अगर हमे वो directly  मिलती है तो वो हमे जला सकती है क्युकी हमारी capacity  बहुत  छोटी है तो हमे एक stabilizer  की जरुरत पड़ेगी वो  stabilizer  ही गुरु है .जैसे की एक ग्लास में तुम पानी भरोगे directlyनल से तोह ग्लास भरने के बाद  पानी उसमें से गिर जायेगा पर अगर आप जग के माध्यम से पानी भरोगे तब जितना आप समां पाओगे उतना ही आएगा वो जग यहाँ गुरु है.इसीलिए इश्वर ने ये नियम यानि rule बना रखा है की गुरु के माध्यम से ही तुम अपने अन्दर मुझे देखोगे.
अब आप सोचोगे की यहाँ पाखंडी गुरु भरे हुए हैं तो  सही गुरु कौन है कैसे पहचाने? तोह सीधी सरल सी बात है, जो गुरु कहे की मैं तुझे इश्वर तेरे अन्दर दिखाऊंगा वही असली गुरु है वही पूर्ण गुरु है.इस चार घंटे के ज्ञान में तुम महापंडित नहीं हो जाते नाही  तुम एक असाधारण जीवन जीने लगते हो न ही तुम घर छोड़ते हो न ही तुम चोगा ओढ़ कर घूमते हो.न ही तुम अपना संचित धन लुटाने लगते हो और न ही तुम पढाई लिखी छोड़ कर सन्यासी बन जाते हो ..ये भरम  मत पलना ..भगवन को पाना सुख पाना है दुःख नहीं बल्कि बह्मा ज्ञान लेकर तुम अपने अन्दर एक प्रकाश देखते हो जो भी इश्वर कहता है वो सुनते हो कही भी हो बस खुश रहते हो . कुछ पाने का एहसास होता है की मेरे अन्दर भगवन हैं मैंने सिर्फ कहा नहीं है देखा भी है और फिर देखो तुम्हारे सारे काम कैसे बनते हैं ..अरे इश्वर की महिमा एक अमृत है वोह अम्रित तुम्हे अपने अन्दर दिखेगा फिर कही मत जाओ बस जब बात करनी हो अपने अन्दर करो .please  इश्वर को जानो सिर्फ मनो मत .ये मुफ्त का सत्संग है अभी तो पर इस कलयुग मैं एक दिन ऐसा आएगा जब लोग अटैची भर कर पैसा लायेंगे सिर्फ ब्रह्मा ज्ञान पाने के लिए पर अफ़सोस तब उन्हें ये नहीं मिलेगा...पता है भारत का नाम कैसे पड़ा भा -मतलब ब्रह्मा ज्ञान रत - मतलब डूबे हुए अर्थात ब्रह्मा ज्ञान में डूबे हुए एक समय ऐसा था जब हर कोई ब्रह्मा ज्ञान में डूबा हा था तब उसका नाम यानि उस देश का नाम भारत पड़ा...मेरे विषय में बता दूं मैं ज्ञान लुंगी जल्दी क्युकी मुझे वो गुरु मिल गए हैं श्री आशुतोष जी महाराज !!!इश्वर कृपा से आप पर ही ये ज्ञान बरसे यही कामना है......

1 comment:

  1. KAASH AAPKO BHI YAHI MEHSOOS HO..AUR HOGA AGAR ISHWAR KARAYENGEY ..AUR MAIN YAHI JARIYA HOON JO AAJ AAP YE SAB PADH RAHE HAIN KAHI NA KAHI I AM LIKE A PROPHET OF GOD FOR YOU..

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