Thursday 17 February 2011

ishwar

ये एक रूमी जी की बात है, वो मौलाना थे .वो अपने बल-साथियों के साथ छत्त पर खेल रहे थे.खेल-खेल में,उनके दोस्तों ने नया खेल इजात किया-चलो चलो हम एक छत्त से दूसरी छत्त पर कूदें.बालक रूमी नाक नुह सकोद कर बोला-धत,यह भी कोई खेल है,एक छत्त से दूसरी छत्त पट कूदना कोई खेल है यह to कुत्ते बिल्ली भी खेल लेते हैं.हम तोह मनुष्य के बच्चे हैं.हमें तोह ऐसी छलांग लगनी है,जो इस संसार से खुदा के घर तक पंहुचा दे. निःसंदेह, शास्त्र भी कहते हैं की हम अनेक योनियों की सीढियां चढ़ कर "मनुष्य जीवन" रूपी छत्त पर पहुचे हैं.अब निर्णय हमें लेना है की हम छोटे मोटे लक्ष्य को पूरा करते हुए एक छत्त से दूसरी छत्त पर छलांग लगते हैं या फिर सीधा इश्वर के घर तक की.
मेरा लिखा हुआ ये ब्लॉग, यह स्तम्भ उसी शाश्वत पथ पर प्रकाश दाल रहा है,जिससे आप वो ऊँची छलांग लगा सकें. इसीलिए ये ब्लॉग  इश्वर के जिज्ञासुओं और पिपासुओं के लिए विशेष रूप से prernadayak है.

धन्यवाद..

1 comment:

  1. MOKSHA --ONLY WAY TO GOD..START IT AS SOON AS POSSIBLE... ..you will never forget it ..IT has immense satisfaction IN IT,UN ENDING happiness..and love in it...THE REAL LOVE..FOR GOD

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