Thursday 24 February 2011

seek and you shall find it...:)

आत्मा सबकी प्यासी है एक अजीब सी बेचैनी एक अधूरापन सभी को सताता है.एक दर्द भरी करह सबके अन्दर करवटें लेती है.लेकिन कुछ लोग होते हैं जो अपनी रूह की इस प्यास को पहचान पाते हैं.अपने में गहरा झांककर आत्मा का रोना समझ पते हैं.और फिर समझने के बाद उसका दाना पानी जुटाने के लिए चल पड़ते हैं आत्मा का भोजन और रस परमात्मा हैं.-रासो वै सः भगवन से मिलकर ही रूह की भूक मिटती है इसीलिए वोह बिरले निकल पड़ते हैं इस खोज में की कही तोह उनकी आत्मा सुखी होगी.जिसका एक ही लक्ष्य होता है "इश्वर "इस खोज यात्रा में तरह तरह के पड़ाव आते हैं कहीं पाखंड का झाला मिलता है कही  ऊलजलूल रुढियों का मकडजाल .कही कही तोह जिग्यासों का मनन ठगने के लिए बड़ी लुभावनी meditation  तकनीकें या पद्तियाँ भी इजात करली गयीं हैं सब पेंतारें बेफिजूल हैं..
कभी आपने सोचा है की फसते क्यूँ हैं?..इश्वर ने कहा है की फसते वही हैं जिन्होंने अभी अपनी अन्दर की आवाज को ठीक तरह से सुना नहीं है जो अपनी आत्मा नहीं मन  की आवाज को लेकर सत्य की खोज में निकलते हैं इसीलिए जहाँ कहीं उन्हें अपने मन के अनुकूल कुछ मिलता है वो वहीँ ठहर जाते हैं लेकिन इश्वर के सच्चे परवाने इश्वर से एक पाई भी कम में सौदा नहीं करते .the real seekers of God do not settle for even a penny lees then GOD! वो तब तक पंख फद्फदते हैं जब तक इश्वर की दिव्या ज्योति का दर्शन नहीं कर लेते वे तब तक खोजते हैं तब तक एक पूर्ण तत्वदर्शी गुरु की आशीष छाया में नहीं आजाते और उनसे इश्वर रूपी परम सौगात नहीं पा लेते..ये तत्त्व गुरु इश्वर के भेजे हुए अवतार होते हैं जो हमें ब्रह्मज्ञान द्वारा इश्वर दर्शन करते हैं..ब्रह्मा ज्ञान पाने का एक मात्र सहारा ज्ञानी गुरु की शरण .

1 comment:

  1. JO SACHCHI BHAKTI MEIN VISHWAS KARTE HAIN VO MERI BAAT SAMJH JAYENGE..

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